आज दिनांक 30 तारीख को जयपुरिया स्कूल में पूर्वांचल वैश्य फाउंडेशन के तत्वाधान में एक विशेष बैठक बुलाई गई, जिसमें आगामी दीपावली मिलन समारोह की योजना को अंतिम रूप दिया गया।

रिपोर्ट संजय रस्तोगी

आज दिनांक 30 तारीख को जयपुरिया स्कूल में पूर्वांचल वैश्य फाउंडेशन के तत्वाधान में एक विशेष बैठक बुलाई गई, जिसमें आगामी दीपावली मिलन समारोह की योजना को अंतिम रूप दिया गया।
यह भव्य आयोजन 3 तारीख, रविवार, शाम 5:00 बजे नाटी इमली गणेश मंडप में आयोजित होगा, जिसका उद्देश्य समाज के सभी वैश्य बंधुओं को एक मंच पर लाना और आपसी मेल-मिलाप एवं भाईचारे को सुदृढ़ करना है।

इस समारोह के मुख्य अतिथि माननीय श्री रविंद्र जायसवाल, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), उत्तर प्रदेश सरकार होंगे।
कार्यक्रम में गणेश-लक्ष्मी पूजन, भव्य सजावट, आतिशबाजी, महाप्रसाद, और सुश्री स्वाति मिश्रा (मुंबई) द्वारा विशेष सांस्कृतिक प्रस्तुति की व्यवस्था की गई है।

दीपक कुमार बजाज जी के नेतृत्व में, पूर्वांचल वैश्य फाउंडेशन के संस्थापक राजेश योगी जी,
अध्यक्ष संतोष गुप्ता जी, संजय जयसवाल जी, महामंत्री संजय रस्तोगी जी, जयवीर गुप्ता जी, सुरेश गुप्ता जी, रंजन शाह जी, संरक्षक डॉ. राजकुमार जी, और मनोज रॉनिहार जी सहित सभी वैश्य समाज के बंधुओं ने इस बैठक में भाग लिया और समाज के सभी सदस्यों को इस विशेष आयोजन में सादर आमंत्रित किया गया।

समाज के सभी बंधुओं से निवेदन है कि वे इस दीपावली मिलन समारोह में सहभागी बनें और समाज की एकता और गौरव को मजबूती प्रदान करें।

मनुष्य के हृदय में होता है भगवान का वास-पंडित शक्ति मुगलसराय चन्दौली तारा जीनपुर क्षेत्र स्थित सहरोई गांव में विगत पांच वर्षों की भांति इस वर्ष भी श्री हनुमान जयंती के पावन अवसर नवयुवक मंगल दल सहरोई के तत्वाधान में सप्त दिवसीय संगीमय श्रीराम कथा का आयोजन किया गया है। कथा के दूसरे दिन पंडित शक्ति तिवारी ने नारायण के दिव्य अवतार को समझाते हुए कहा की भगवान का अवतार प्रत्येक मनुष्य के हृदय वेश में होता है। अवतार को समझाते हुए उन्होंने कहा कि भगवान अपनी भावना को छोड़कर के धेनु, सुर, संत, हित में लिन्ह, मनुज अवतार भगवान ब्राह्मणों के गाय माता, के और संतों के हितों के लिये धरती पर मनुष्य का शरीर धारण करके आते हैं। इसी को समझाते हुए भगवान के बाललीला का भी वर्णन किया और उन्होंने बतलाया की चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ एक पुत्र के लिए रो रहे थे और गुरु वशिष्ट के द्वारा श्रृंगी ऋषि के पुत्र प्राप्ति यज्ञ करने से तुमको चार-चार पुत्रों की प्राप्त हुयी। इसी के बाद चारों पुत्रों का नामांकरण गुरु वशिष्ट के द्वारा करवाते हुए इन्होंने बतलाया की विश्वामित्र जो की महान ऋषि थे। असुरों का समूह जब उन्हें सताया तो उन्हें भी भगवान को मांगने की जरूरत पड़ी और विश्वामित्र सनाथ हुये और भगवान वन में तारकासुर का एक ही बाण में बध कर दिये। मारीच व सुबाहु को अग्निबाण से यज्ञ की रक्षा की। इस दौरान सैकड़ां लोगो का जन सैलाब उमड़ा रहा। कार्यकर्ता राहुल मिश्रा, अमित मिश्रा, रोहित, पवन, शिशु मिश्रा, विराट, उमेश, महानंद, दिनेश, शुभम, गोलू, तबला वादक अनिल तिवारी, सैकड़ां श्रद्धालु उपस्थित रहे।