कृष्ण कुमार यादव और आकांक्षा की युगल रचनाधर्मिता पर केंद्रित ‘सरस्वती सुमन’ का संग्रहणीय विशेषांक

रिपोर्ट राहुल मेहानी

कृष्ण कुमार यादव और आकांक्षा की युगल रचनाधर्मिता पर केंद्रित ‘सरस्वती सुमन’ का संग्रहणीय विशेषांक

हिंदी भाषा और साहित्य के विकास में आदिकाल से ही तमाम साहित्यकारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। किसी कवि, लेखक या साहित्यकार को अगर ऐसा जीवनसाथी मिल जाए जो खुद भी उसी क्षेत्र से जुड़ा हो तो यह सोने पर सुहागा जैसी बात होती है। एक तरीके से देखा जाए तो ऐसे लेखकों या लेखिकाओं को उनके घर में ही पहला श्रोता, प्रशंसक या आलोचक मिल जाता है। इसी कड़ी में देव भूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड के देहरादून से प्रकाशित ‘सरस्वती सुमन’ मासिक पत्रिका ने हिंदी साहित्य की एक लोकप्रिय युगल जोड़ी आकांक्षा यादव और कृष्ण कुमार यादव की रचनाधर्मिता पर केंद्रित 80 पेज का शानदार विशेषांक दिसंबर-2024 में प्रकाशित किया है। इसमें दोनों की चयनित कविताओं, लघुकथाओं, कहानियों, लेखों को सात खंडों में शामिल किया गया है, वहीं विभिन्न पन्नों पर उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को समेटती तस्वीरों के माध्यम से इसे और भी रोचक बनाया गया है। कवर पेज पर इस युगल की खूबसरत तस्वीर पहली ही नज़र में आकृष्ट करती है। अपने प्रकाशन के 23 वर्षों में ‘सरस्वती सुमन’ पत्रिका ने तमाम विषयों और व्यक्तित्वों पर आधारित विशेषांक प्रकाशित किये हैं, परंतु किसी साहित्यकार दंपति के युगल कृतित्व पर आधारित इस पत्रिका का पहला विशेषांक है। इसके लिए पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ. आनंद सुमन सिंह और संपादक श्री किशोर श्रीवास्तव हार्दिक साधुवाद के पात्र हैं। ‘वेद वाणी’ और ‘मेरी बात’ के तहत डॉ. आनंद सुमन सिंह ने साहित्य एवं संस्कृति के सारस्वत अभियान को आगे बढ़ाया है। अपने संपादकीय में डॉ. सिंह ने कृष्ण कुमार और आकांक्षा से अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह में परिचय प्रगाढ़ता का भी जिक्र किया है।

सम्प्रति उत्तर गुजरात परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल पद पर कार्यरत, मूलत: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जनपद निवासी श्री कृष्ण कुमार यादव जहाँ भारतीय डाक सेवा के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी हैं, वहीं उनकी जीवनसंगिनी श्रीमती आकांक्षा यादव एक कॉलेज में प्रवक्ता रही हैं। पर सोने पर सुहागा यह कि दोनों ही जन साहित्य, लेखन और ब्लॉगिंग के क्षेत्र में भी समान रूप से प्रवृत्त हैं। देश-विदेश की तमाम पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन के साथ ही इंटरनेट पर भी इस युगल की रचनाओं के बखूबी दर्शन होते हैं। विभिन्न विधाओं में श्री कृष्ण कुमार यादव की अब तक कुल 7 पुस्तकें प्रकाशित हैं, वहीं श्रीमती आकांक्षा की 4 पुस्तकें प्रकाशित हैं।

प्रधान संपादक डॉ. आनंद सुमन सिंह ने इस युगल विशेषांक के संबंध में लिखा है, ” यह युगल विगत लगभग 20 वर्षों से सरस्वती सुमन पत्रिका के साथ निरंतर जुड़ा है। इसलिए जब ‘युगल विशेषांक’ निकालने का विचार बना तो सबसे पहले उन्हीं से शुरुआत की जा रही है। अब तो इस युगल की दोनों पुत्रियाँ-अक्षिता और अपूर्वा भी लेखन क्षेत्र में पूरी निष्ठा के साथ जुटी हैं और अपनी शिक्षा-दीक्षा के साथ-साथ साहित्य सेवा में भी सक्रिय हैं। ‘युगल विशेषांक’ का उद्देश्य केवल एक साहित्यिक परिवार से साहित्य सेवियों को परिचित करवाना है और उनके लेखन की हर विधा को पाठकों के सम्मुख रखना है। अनुजवत कृष्ण कुमार यादव और उनकी सहधर्मिणी आकांक्षा यादव दोनों ही उच्च कोटि के साहित्यसेवी हैं और उनके विवाह की वर्षगांठ (28 नवंबर, 2024) पर यह अंक साहित्य प्रेमियों के लिए उपयोगी होगा ऐसी हमारी मान्यता है।   

देश-विदेश में तमाम सम्मानों से अलंकृत यादव दंपति पर प्रकाशित यह विशेषांक साहित्य प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय अंक है। साहित्य समाज का दर्पण है। इस दर्पण में पति-पत्नी के साहित्य को समाज के सामने लाकर ‘सरस्वती सुमन’ ने एक नया विमर्श भी खोला है। आशा की जानी चाहिये कि अन्य पत्रिकाएँ भी इस तरह के युगल विशेषांक प्रकाशित करेंगी।  निश्चितत: इस तरह के प्रयास न केवल साहित्य में बल्कि दांपत्य जीवन में भी रचनात्मकता को और प्रगाढ़ करते हैं।


प्रो. गीता सिंह
अध्यक्ष-स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग 
डीएवी पीजी कॉलेज आजमगढ़-276001 
मो. +91-9532225244

चंदौली पी डी डी यू नगर! पब्लिक इंटरेस्ट थिंकर्स असेंबली” पिता” संस्था  द्वारा प्रताड़ित पतियों पर संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस चर्चा के केंद्र में था बेंगलुरु में  अतुल सुभाष  नामक एक इंजीनियर द्वारा लिखा सुसाइड नोट और उस सुसाइड नोट पर उसका  लाईव वीडियो जिसमें उसने अपने आत्महत्या के कारणों के साथ इस कारण में अपनी तथा अपने पत्नी और ससुराल पक्ष के धन लोलुपता, भारतीय न्याय पद्धति के गुण दोष, न्याय और न्यायालय की गतिविधियों का चर्चा करते हुए अपनी प्रताड़ना और अपनी अंतिम इच्छा तक को समाज और न्यायिक तंत्र के समक्ष रखा है.
अतुल सुभाष कोई अकेला प्रताडित नहीं पुरुषों में बढ़ती आत्महत्या इस विषय की गंभीरता इस चर्चा को समाज की जरूरत बना दिया आयोजक संस्था ने इस चर्चा के पीछे जो कारण रखे हैं उसमे समाजिक दायित्व और न्यायिक प्रक्रिया में सुधार की मांग है.
यह कार्यक्रम नगर के श्री दर्शन वेला के सभागार में आयोजित हुआ जिसमें  वरिष्ठ अधिवक्ता सदानन्द सिंह महिला पक्ष विशेष  वरिष्ठ अधिवक्ता महेन्द्र प्रताप सिंह,
दिवानी और फौजदारी   पक्ष से  वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश सिंह  के नेतृत्व में युवा और महिला अधिवक्ताओं का एक पैनल इस चर्चा का हिस्सा रहा वही पत्रकार दीर्घा से इस चर्चा में वरिष्ठ पत्रकारों की संवेदनशील सत्य दृष्टि का नेतृत्व पत्रकार.  पवन कुमार तिवारी के साथ.             पत्रकार बंधुओं की सहभागिता हुयी. प्रबुद्ध दीर्घा में रिटायर पुलिस अधिकारी, समाज सेवी, यूनियन का नेतृत्व करने वाले, समाज के सभी वर्गों के साथ महिला प्रमुखों की भी सहभागिता रही. इस चर्चा में प्रताड़ित भुक्तभोगी यों की  उपस्थित सुनिश्चित कर रही थी की महिला अपने प्रति सामाजिक निष्ठा और न्यायिक अधिकार को अब  वो एक आत्मघाती हथियार की तरह प्रयोग करने की ओर बढ़ चली हैं.
यह चर्चा आत्महत्या से अपनी जीवन लीला समाप्त करने वाले युवा वर्ग की समस्या से जुड़ी रही  जो विवाह और प्रेम की जीवन  प्रथा  को एक कुरीति और भय का नाम दे रही. यह आत्महत्या  उस घटना को सार्वजनिक करती  है  जिसमें मरने वाला अपने  मौत से पूर्व कुछ सवाल अपनी ओर से  छोड़ गया.एक पढ़ा लिखा इंजीनियर काफी ऊंची वेतन भुगतान पाने वाला आखिर किस प्रताड़ना मे था जो इस प्रकार विवश हुआ उसकी न्याय की गुहार क्या  है? यह न्याय पद्धति  कितना न्याय प्रिय है? विशेषाधिकार का दुरुपयोग कितना घातक? आदि  इन सभी विषयों को जोड़ता “अतुल सुभाष की मौत” हत्या, आत्महत्या या न्यायिक दोष “विषय पर यह चर्चा चार सत्र में हुयी पहले सत्र में विषय और घटना परिचय जिसका संचालन सतनाम सिंह( सोशल एक्टिविस्ट) दूसरे सत्र चर्चा नियम और घटना परिचय महिला अधिवक्ता श्वेता सिद्धिदात्री और चर्चा काल का संचालन युवा पत्रकार राजेश गोस्वामी तथा प्रश्न काल का संचालन चर्चा संयोजक चंद्र भूषण मिश्र कौशिक ने किया.

इस संवाद पर चर्चा में “पिता” संस्था के सदस्य, जैसे कुलविंदर सिंह, आनंद, अमित महलका, अजहर अंसारी, योगेंद्र यादव अल्लू, बिजेंद्र सिंह, दिनेश शर्मा, रवनीत सिंह, हमीर शाह,  नीतीश कुमार, प्रवीण यदुवेंदु, प्रिया जैस, राजेश गुप्ता, रीना जी, रुचिका शाह, श्वेता जी, तनवीर अंसारी, तारीक जी, विकास खरवार, विकास आनंद और अन्य सदस्य मौजूद रहे।

आज 14 सितंबर हिंदी दिवस के अवसर पर दिव्य एकेडमी कोचिंग संस्थान बबुरी में सुलेख प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमे प्रियंका प्रथम, सुहाना द्वितीय और कीर्ति ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
विद्यालय में पढ़ाने वाली हिंदी की वरिष्ठ अध्यापिका सुनीता केशरी द्वारा बच्चों को गोल्ड मेडल सिल्वर मेडल और ब्रांज मेडल द्वारा पुरस्कृत किया गया।।
विद्यालय के प्रबंधक अरुण कुमार पाठक जी ने बच्चो का उत्साह वर्धन किया।

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