पुणे महाराष्ट्र इस्थित Marvel Fria सोसाइटी द्वारा लगाए गए 50 पेड़ ।

मानवाधिकार न्यूज़ –
पर्यावरण दिवस के अवसर पर ‘ Marvel Fria’ सोसाइटी द्वारा पेड़ लगाने का आयोजन किया गया है,जिसमें बच्चे एवम बड़े सभी शामिल थे, सबने मिल कर 50 पेड़ लगाए और एक समाज को नई दिशा दी।
Wagholi Lohegaon रोड पर यह कार्यक्रम किया गया ।
Dr Matin Raje जी का कहना है की  पेड़ लगाओ और पर्यावरण बचाओ और हर कोई अपने जन्मदिन पर जरूर एक पेड़ लगाए और उसकी रक्षा करे।
इस कार्यक्रम में ऋषिकेश जी , विकास जैन जी और वहां के बाकी लोग शामिल थे। अपने कार्यालय के आस पास वातावरण को हरियाली के लिए पीपल पाकड़, अशोक,व केले का पौधे को लगाकर 05 जून पर्यावरण दिवस के अवसर पर लगाया और हर व्यक्ति को अपने जीवन में एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए ताकि आने वाले पीढ़ियों को पेड़ों से ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में मिलते रहे,पेड़ पौधे से फल और सब्जियां जैसे आवश्यक सामग्री मिलते हैं और वह हमें उपचार के लिए जड़ी बूटी और औषधियां भी प्रदान करते हैं पेड़ पौधे से पर्यावरण में प्रदूषण को कम करने में मदद मिलता है साथ ही जिस हवा से सांस लेते हैं पेड़ पौधे उसे साफ करते हैं और शुद्ध आक्सीजन प्रदान करते है। पेड़ पौधे रहने से अपने आसपास के वातावरण ठंडा और आरामदायक स्थिति में मदद रहता हैं। जब बहुत धूप तेज होती है तो वह सूरज अवरोध की तरह काम करता है। जिससे मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
संवाददाता – शिखा पाठक

संवाददाता – शिखा पाठक

मनुष्य के हृदय में होता है भगवान का वास-पंडित शक्ति मुगलसराय चन्दौली तारा जीनपुर क्षेत्र स्थित सहरोई गांव में विगत पांच वर्षों की भांति इस वर्ष भी श्री हनुमान जयंती के पावन अवसर नवयुवक मंगल दल सहरोई के तत्वाधान में सप्त दिवसीय संगीमय श्रीराम कथा का आयोजन किया गया है। कथा के दूसरे दिन पंडित शक्ति तिवारी ने नारायण के दिव्य अवतार को समझाते हुए कहा की भगवान का अवतार प्रत्येक मनुष्य के हृदय वेश में होता है। अवतार को समझाते हुए उन्होंने कहा कि भगवान अपनी भावना को छोड़कर के धेनु, सुर, संत, हित में लिन्ह, मनुज अवतार भगवान ब्राह्मणों के गाय माता, के और संतों के हितों के लिये धरती पर मनुष्य का शरीर धारण करके आते हैं। इसी को समझाते हुए भगवान के बाललीला का भी वर्णन किया और उन्होंने बतलाया की चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ एक पुत्र के लिए रो रहे थे और गुरु वशिष्ट के द्वारा श्रृंगी ऋषि के पुत्र प्राप्ति यज्ञ करने से तुमको चार-चार पुत्रों की प्राप्त हुयी। इसी के बाद चारों पुत्रों का नामांकरण गुरु वशिष्ट के द्वारा करवाते हुए इन्होंने बतलाया की विश्वामित्र जो की महान ऋषि थे। असुरों का समूह जब उन्हें सताया तो उन्हें भी भगवान को मांगने की जरूरत पड़ी और विश्वामित्र सनाथ हुये और भगवान वन में तारकासुर का एक ही बाण में बध कर दिये। मारीच व सुबाहु को अग्निबाण से यज्ञ की रक्षा की। इस दौरान सैकड़ां लोगो का जन सैलाब उमड़ा रहा। कार्यकर्ता राहुल मिश्रा, अमित मिश्रा, रोहित, पवन, शिशु मिश्रा, विराट, उमेश, महानंद, दिनेश, शुभम, गोलू, तबला वादक अनिल तिवारी, सैकड़ां श्रद्धालु उपस्थित रहे।