मानवाधिकार न्यूज़ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी द्वारा कोचिंग अध्यापक को दी गई रामायण ग्रंथ

रिपोर्ट राहुल मेहानी
रिपोर्ट राहुल मेहानी

आज मैंने अपने बच्चों और हमारे प्रिय मित्र, कोचिंग अध्यापक  शोभित भास्कर जी को रामायण ग्रंथ की पुस्तकें प्रदान कीं। मैंने उनसे विनम्र निवेदन किया कि बच्चों को श्री राम के जीवन और उनके आदर्शों के बारे में जानकारी दी जाए, ताकि वे हमारे महान सांस्कृतिक और धार्मिक ग्रंथों से प्रेरणा ले सकें।

इस पहल को देखकर  शोभित भास्कर जी बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने बताया कि उनके कोचिंग क्लास के बच्चे अक्सर उनसे रामायण, भागवत गीता, और हनुमान जी की कहानियों के बारे में सुनने की इच्छा व्यक्त करते हैं। बच्चे इन कहानियों पर कई सवाल भी पूछते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे हमारी संस्कृति और धार्मिक ग्रंथों के प्रति कितने उत्सुक और जिज्ञासु हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि यह अत्यंत सराहनीय कदम है, क्योंकि इससे बच्चों में न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक ज्ञान बढ़ेगा, बल्कि वे अच्छे संस्कार और नैतिक मूल्य भी सीखेंगे। उन्होंने इस प्रयास को और अधिक सफल बनाने के लिए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।

हमारा उद्देश्य है कि आने वाली पीढ़ी रामायण जैसे अमूल्य ग्रंथों से प्रेरणा लेकर सत्य, धर्म और मर्यादा के मार्ग पर चल सके। इस पहल को और अधिक विस्तार देने का हमारा प्रयास जारी रहेगा।

सीता हरण के दौरान जटायु व रावण का भंयकर युद्ध लीला का हुआ मंचनचहनियां चन्दौली। क्षेत्र स्थित कल्यानपुर सेवा समिति के तत्वाधान में चल रहे रामलीला मंचन के यह सातवें दिन रविवार रात में शुरुआत में प्रभु श्रीराम की आरती के साथ के साथ प्रारम्भ किया गया। रामलीला के सातवें दिन रावण ने माता सीता का हरण कर लिया और पुष्पक विमान से वह लंका ले जाने लगा। जिसपर माता सीता की करूण विलाप सुनकर गिद्धराज जटायु ने अपने मित्र की पुत्र बधु सीता को बचाने के लिए रावण से युद्ध करने लगा बड़ी भयंकर युद्ध हुआ रावण जटायु की मार को सहन न कर सका और क्रुद्ध होकर भगवान शिव द्वारा प्राप्त चन्द्रहासं खड्ग से जटायु पर वार कर दिया जिसमें जटायु का एक पंख कट गया लेकिन उसके बावजूद भी युद्ध नही थमा तब तक रावण ने दूसरा वार कर दिया। जिसमें जटायू का दूसरा पंख भी काट दिया जिससे आकाश से गिरकर जटायू गंभीर रूप से घायल हो गये। जब प्रभु श्रीराम व लक्षमण अपनी भार्या सीता को जंगल-वन-पहाड़ां से घुमते-घुमते रास्ते में गिरे जटायू से होती है तो जटायू ने पूरा वृतान्त प्रभु श्रीराम को सुनाया और अपना प्राण दिया। जिस पर प्रभु श्रीराम ने अपने पिता के मित्र की पुत्र बनकर अन्त्येष्टि कर सीता माता की खोज करने लगे। इस दौरान अवधेश चौबे व्यास, अरुण कुमार, जयप्रकाश चौबे, मारकंडे पांडे, अशोक कुमार, घनश्याम सिंह, शमशेर सिंह, अजय चौबे, मनोज चौबे, प्रमोद चौबे, राकेश चौबे, केसर यादव, बबलू यादव, अनुज चौबे, त्रिलोक, टुनटुन, हिमांशु, इत्यादि सैकड़ों कार्यकर्ता व भक्त उपस्थित थे।