डाक विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पत्र लेखन प्रतियोगिता का आयोजन, विजेताओं को मिलेगा 5 हजार से 50 हजार रूपये तक का पुरस्कार

डाक विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पत्र लेखन प्रतियोगिता का आयोजन, विजेताओं को मिलेगा 5 हजार से 50 हजार रूपये तक का पुरस्कार

डाक विभाग देश के पुराने विभागों में से एक है जो देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है | ‘एक विश्व – एक डाक प्राणाली’ की अवधारणा को साकार करने हेतु 1874 को ‘यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन’ की स्थापना बर्न, स्विटजरलैंड में की गयी थी, जिससे विश्व भर में एक समान डाक व्यवस्था लागू हो सके| 150 वर्ष पुरानी ‘यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन’ ने 8 पीढ़ियों से अधिक समय तक दुनिया भर में सेवा की है| इसके बाद से दुनिया बहुत बदल गयी है| इसी के मद्देनजर डाक विभाग द्वारा विषय – “भावी पीढ़ी को उस दुनिया के बारे में एक पत्र लिखना है जिसके बारे में आप आशा करते हैं कि वह उन्हें विरासत में मिलेगी” पर पत्र लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गयाथा| इस प्रतियोगिता में 9 से 15 वर्ष तक के बच्चों ने प्रतिभाग किया | उक्त जानकारी पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर के सहायक अधीक्षक श्री श्रीकांत पाल ने सेंट्रल पब्लिक स्कूल में आयोजित पत्र लेखन प्रतियोगिता के दौरान दी। इस प्रतियोगिता में 48 प्रतिभागी सम्मिलित हुए |

सहायक अधीक्षक श्री श्रीकांत पाल ने बताया कि प्रतियोगिता के विजेताओं को राज्य और राष्ट्रीय स्तरों पर तीन-तीन पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। इनमें परिमंडलीय (राज्य) स्तर पर चयनित श्रेष्ठ पत्रों को प्रथम, द्वितीय व तृतीय श्रेणी में क्रमश: 25 हजार, 10 हजार व 5 हजार रूपए का पुरस्कार दिया जायेगा। राष्ट्रीय स्तर पर चयनित श्रेष्ठ पत्रों को प्रथम, द्वितीय व तृतीय श्रेणी में क्रमश: 50 हजार, 25 हजार व 10 हजार रूपए का पुरस्कार दिया जायेगा। इस अवसर पर विद्यार्थियों के साथ स्कूल के प्रधानाध्यापिका विभा सिंह, शिक्षक पवन गुप्ता, सपना पाण्डेय, विभा सिंह , छाया तिवारी, सीता जैसल, अजीत, सुशील, उप डाकपाल पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर रमेश पाण्डेय, दिनेश तिवारी, रामप्रसाद सहित अभिभावकगण भी उपस्थित रहे।

 

चंदौली पी डी डी यू नगर! पब्लिक इंटरेस्ट थिंकर्स असेंबली” पिता” संस्था  द्वारा प्रताड़ित पतियों पर संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस चर्चा के केंद्र में था बेंगलुरु में  अतुल सुभाष  नामक एक इंजीनियर द्वारा लिखा सुसाइड नोट और उस सुसाइड नोट पर उसका  लाईव वीडियो जिसमें उसने अपने आत्महत्या के कारणों के साथ इस कारण में अपनी तथा अपने पत्नी और ससुराल पक्ष के धन लोलुपता, भारतीय न्याय पद्धति के गुण दोष, न्याय और न्यायालय की गतिविधियों का चर्चा करते हुए अपनी प्रताड़ना और अपनी अंतिम इच्छा तक को समाज और न्यायिक तंत्र के समक्ष रखा है.
अतुल सुभाष कोई अकेला प्रताडित नहीं पुरुषों में बढ़ती आत्महत्या इस विषय की गंभीरता इस चर्चा को समाज की जरूरत बना दिया आयोजक संस्था ने इस चर्चा के पीछे जो कारण रखे हैं उसमे समाजिक दायित्व और न्यायिक प्रक्रिया में सुधार की मांग है.
यह कार्यक्रम नगर के श्री दर्शन वेला के सभागार में आयोजित हुआ जिसमें  वरिष्ठ अधिवक्ता सदानन्द सिंह महिला पक्ष विशेष  वरिष्ठ अधिवक्ता महेन्द्र प्रताप सिंह,
दिवानी और फौजदारी   पक्ष से  वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश सिंह  के नेतृत्व में युवा और महिला अधिवक्ताओं का एक पैनल इस चर्चा का हिस्सा रहा वही पत्रकार दीर्घा से इस चर्चा में वरिष्ठ पत्रकारों की संवेदनशील सत्य दृष्टि का नेतृत्व पत्रकार.  पवन कुमार तिवारी के साथ.             पत्रकार बंधुओं की सहभागिता हुयी. प्रबुद्ध दीर्घा में रिटायर पुलिस अधिकारी, समाज सेवी, यूनियन का नेतृत्व करने वाले, समाज के सभी वर्गों के साथ महिला प्रमुखों की भी सहभागिता रही. इस चर्चा में प्रताड़ित भुक्तभोगी यों की  उपस्थित सुनिश्चित कर रही थी की महिला अपने प्रति सामाजिक निष्ठा और न्यायिक अधिकार को अब  वो एक आत्मघाती हथियार की तरह प्रयोग करने की ओर बढ़ चली हैं.
यह चर्चा आत्महत्या से अपनी जीवन लीला समाप्त करने वाले युवा वर्ग की समस्या से जुड़ी रही  जो विवाह और प्रेम की जीवन  प्रथा  को एक कुरीति और भय का नाम दे रही. यह आत्महत्या  उस घटना को सार्वजनिक करती  है  जिसमें मरने वाला अपने  मौत से पूर्व कुछ सवाल अपनी ओर से  छोड़ गया.एक पढ़ा लिखा इंजीनियर काफी ऊंची वेतन भुगतान पाने वाला आखिर किस प्रताड़ना मे था जो इस प्रकार विवश हुआ उसकी न्याय की गुहार क्या  है? यह न्याय पद्धति  कितना न्याय प्रिय है? विशेषाधिकार का दुरुपयोग कितना घातक? आदि  इन सभी विषयों को जोड़ता “अतुल सुभाष की मौत” हत्या, आत्महत्या या न्यायिक दोष “विषय पर यह चर्चा चार सत्र में हुयी पहले सत्र में विषय और घटना परिचय जिसका संचालन सतनाम सिंह( सोशल एक्टिविस्ट) दूसरे सत्र चर्चा नियम और घटना परिचय महिला अधिवक्ता श्वेता सिद्धिदात्री और चर्चा काल का संचालन युवा पत्रकार राजेश गोस्वामी तथा प्रश्न काल का संचालन चर्चा संयोजक चंद्र भूषण मिश्र कौशिक ने किया.

इस संवाद पर चर्चा में “पिता” संस्था के सदस्य, जैसे कुलविंदर सिंह, आनंद, अमित महलका, अजहर अंसारी, योगेंद्र यादव अल्लू, बिजेंद्र सिंह, दिनेश शर्मा, रवनीत सिंह, हमीर शाह,  नीतीश कुमार, प्रवीण यदुवेंदु, प्रिया जैस, राजेश गुप्ता, रीना जी, रुचिका शाह, श्वेता जी, तनवीर अंसारी, तारीक जी, विकास खरवार, विकास आनंद और अन्य सदस्य मौजूद रहे।

डीडीयू नगर 6 लेन के लिए धरना मामला….
हाथो में तिरंगा लिए जीटीरोड पर उतरा जनसैलाब।

4 लेन के विरोध में चल रहा धरना प्रदर्शन।

पत्रक देकर अधिकारियों को कराया मांगो से अवगत।

भारी पुलिस बल मौके पर,रोकने के बावजूद नही रुके लोग।

धनुष टूटने का दृश्य देख दर्शक हुए गदगद -शेरवां खखडा गांव में आयोजित श्री राम कथा केतिसरे दिन शुक्रवार की कथा वाचक पंडित मंगलम दीप महाराज कथा में बतलाया कि शिव धनुष टूटते ही चारों तरफ हर-हर महादेव व जय श्रीराम के नारे से पूरा पांडाल सहित गांव गुजायमान हो गया। इस दौरान राजा जनक के सीता स्वयंवर के लिये रखे गये शर्त को जब कोई राजा, देव-दानव-मानव पूरा नही कर पाए तब महाराज जनक निराश हो गये और उन्होने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि यदि मैं यह समझता कि यहां कोई भी वीर पुरूष नही सभी का-पुरूष ही का-पुरूष है। तो मैं अपनी बेटी के लिए एेंसा शर्त नही रखता। स्वयंर देखने के उद्देश्य से पहुचे लक्षमण तुरन्त ही उनको बातों से कुद्ध होकर कहे महाराज जनक रघुवंशियो के समक्ष इस तरह के शब्द बोलने का किसी को कोई अधिकार नही यह धनुष क्या चीज है अगर बड़े भैया का आदेश हो तो मैं पूरी पृथ्वी को गेद तरह उठाकर पटक कई टुकड़े कर दूं। जिस पर गुरू विश्वामित्र व प्रभुराम ने लक्षमण को समझाते हुए शान्त करवाया और महाराज जनक की निराशा को आशा में तब्दील करते हुए शुभ-मुहुर्त में विश्वामित्र के आदेशानुसार प्रभु श्रीराम ने धुनष पर तमंचा चढ़ाने गये और तमंचा चढ़ाते ही वह टूट गया। धनुष के टूटते ही चारो तरफ हर-हर महादेव, व जय श्रीराम के नारे से पूरा गांव सहित पंडाल गुजायमान हो गया। इस दौरान कथा में उपस्थित मंगल मिश्रा, सूर्य बली यादव, चंद्रभूषण त्रिपाठी, वशिष्ठ नरायण त्रिपाठी,बिशाल,मनोहर, अशोक मिश्रा, सहित सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।